बेसहारा मवेशियों की बढ़ती तादाद और इससे हो रही समस्याओं पर गहरी चिंता जताई

सदर बिलासपुर के विधायक त्रिलोक जमवाल ने प्रदेश में बेसहारा मवेशियों की बढ़ती तादाद और इससे हो रही समस्याओं पर गहरी चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि सड़कों पर घूमने वाले बेसहारा मवेशी आए दिन सड़क हादसों का कारण बन रहे हैं। इससे जहां कई लोग घायल हो जाते हैं, वहीं कइयों की जान भी चली जाती है। बेसहारा मवेशियों के मामले में भी यही स्थिति है। इस बात की तह तक जाना बेहद जरूरी है कि आखिर किसानों को अपने पशुधन को क्यों छोड़ना पड़ रहा है। अहम पहलू यह भी है कि प्रदेश के गौसदनों में 10-12 हजार मवेशियांे को रखने की व्यवस्था है, जबकि इनकी संख्या डेढ़ से दो लाख हो चुकी है। ऐसे में जंगलों में ओपन फेंसिंग के माध्यम से मवेशियों के लिए चारे-पानी की व्यवस्था करना इस समस्या के समाधान में कारगर साबित हो सकता है।
विधानसभा में चर्चा में भाग लेते हुए त्रिलोक जमवाल ने कहा कि बेसहारा मवेशियों की समस्या के लिए पशु अस्पतालों में सुविधाओं की कमी एक बड़ा कारण है। किसान बड़ी उम्मीदों से मवेशी पालते हैं। दुधारू मवेशियांे को इंजेक्शन आदि लगवाने के लिए अस्पतालों में स्टाफ की कमी आड़े आ रही है। अक्सर चतुर्थ श्रेणी कर्मियों को इंजेक्शन लगाने भेज दिया जाता है, जिन्होंने इस काम के लिए कोई ट्रेनिंग नहीं की है। इसी वजह से कई बार इंजेक्शन लगवाने के बावजूद सफलता की दर काफी कम रहती है। ऐसे में किसानों को मजबूरन उन मवेशियों को छोड़ना पड़ता है। ज्यादातर पंचायतों में मवेशियों को टैग लगाए गए हैं, लेकिन बाहरी राज्यों से चोरी-छिपे ढंग से मवेशी लेकर हिमाचल में आने वाले वाहनों की चेकिंग की कोई व्यवस्था नहीं है। इसी वजह से पशु तस्करी के मामले भी बढ़ रहे हैं। एनजीओ और स्थानीय लोग पशु तस्करों को पकड़ते हैं। जब उन्हें इस तस्करी का पता चल जाता है तो सरकार के पास जानकारी क्यों नहीं होती।
त्रिलोक जमवाल ने कहा कि वाहनों की चपेट में आकर घायल होने वाले मवेशी सड़कों के किनारे पड़े रहते हैं। उनकी सूचना कहां दी जाए, ज्यादातर लोगों को इसकी जानकारी नहीं होती। यदि सूचना दे भी दी जाए तो उन्हें वहां से अस्पताल ले जाने के लिए स्टाफ की कमी आड़े आ जाती है। लोग घायल मवेशियों को चारा व पानी देकर अपना फर्ज निभाते हैं, लेकिन इलाज के अभाव में वे दम तोड़ देते हैं। न केवल अन्य सड़कों, बल्कि नेशनल हाईवे और फोरलेन पर भी ऐसे मवेशियों के झंुड देखने को मिलते रहते हैं। कई बार रात के अंधेरे में वाहनों की रोशनी में भी वे आसानी से नजर नहीं आते हैं और हादसे हो जाते हैं। उनके गले में रात को चमकने वाले काॅलर लगाकर इन हादसों को कम किया जा सकता है।

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